Monday, 23 November 2015

mohali 588 ke liye

sahil bansal भाई जन्म दिन बहुत बहुत मुबारक | smile emoticon smile emoticon smile emoticon
मेरे पास कुछ लफ्ज़ रहते हैं जो आज तुम्हारे लिए कहना चाहूंगा | smile emoticon
स्कूल के दोस्तों की बात करूँ तो खुशकिस्मत हूँ के साथ अभी तक बना हैं और आगे भी बना रहे | चाहे दोस्त आज मीलों दूर हैं पर फिर भी लिख के बात कर लेता हूँ , किसी इंसान से मैं बहुत प्रभावित होता हूँ तो दिल से लिखना पसंद करता हूँ |
हर कोई अपनी ज़िन्दगी का हीरो खुद होता हैं |
हर इंसान में भगवान होता हैं अगर ज़िन्दगी के पिछले कुछ सालो को गिनु तो हर बार तेरे लिए दुआ निकलती हैं
ज़िन्दगी में हम कितने रिश्ते बनाते हैं दोस्त .
पर कुछ रिश्ते हमेशा ज़िन्दगी के साथ चलते हैं |
कहते हैं स्कूल कॉलेज की दोस्ती सिर्फ गेट तक होती है ..
ज़िन्दगी की कश्मकश में सिर्फ पास रहते हैं तो वो होते हैं : BIRTHDAY REMINDER या मशीनो में पड़े कुछ नाम और पते |
रिश्ते तो एक बार बनते हैं फिर ज़िन्दगी रिश्तो के साथ चलती हैं |
तो दोस्त अगर कुछ साल पहले या कभी भी मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए तुमसे दिल से माफ़ी मांगता हूँ |
सीधे साधा इंसान कंधो पे अक्कड का बोझ लेकर नहीं चलता
ज़िन्दगी में मैंने अगर कोई किताब लिखी तो उसमें तुम्हारा ज़िकर भी ज़रूर होगा |
स्कूल का SAHIL हमारे लिए SHAALU था tongue emoticon
मोहाली फेज-1 , HL no. 588 का baansu ... tongue emoticon
जब कभी वक़्त के पन्नो को फिर से देखना शुरू करता हूँ तो ख़ुशी होती हैं - "वो दौर भी अच्छा था |"
जब पूरी बात किये बिना नींद नहीं आती थी ....आज कल चुप चाप हर रात छुप जाती हैं |
चल दोस्त मिलते हैं 2016 में |
यारो की महफ़िल के साथ |
महफिले आगे भी जुड़ती रहे .. smile emoticon
हमें तुम पर गर्व हैं ...
ज़िन्दगी में तुम कुछ भी करो हमें तुम पर गर्व रहेगा |
पंकज शर्मा smile emoticon smile emoticon heart emoticon heart emoticon heart emoticon
happy birthday baansu

Thursday, 19 November 2015

ढूंढते ढूंढते

 
 
 ढूंढते ढूंढते
 
इस भीड़भाड़ से दूर किसी दूसरे शहर जहाँ न सड़के जाती हैं
न पहुँचने के लिए नीली मुहर  लगती हैं ...
बस एक नींद की करवट जाती हैं
यहाँ जो लोग मुझे जानते थे
उन्हें पता लग गया
कि अब मेरे पास न पंख  है,
न कोई भगवान ....
न क़ुबूल होने वाली दुआएं....
और मेरे लिए एक भगवान फ़र्ज़ कर लेने का ....
मौका भी जाता रहा...
बस ढूंढते ढूंढते पैरो में छाले से पड़ने लगे हैं 
खैर आपके पास न वो नज़रे....
वो पंख नहीं हैं तो
मुझे इज़ाज़त दे
क्षमा दे ...
और बकने दे जो मैं अक्सर बकता हूँ
ढूंढने दे मुझे 
 उस हकीकत को ....
कहने दे जो कहते हैं -" दुनिया ज़िंदा है ओर.."
 और हम तो साँस ले रहे  हैं, बस!
ये जो तुम गुज़ार रहे हो, ये तुम्हारी हक़ीक़त है,
या किसी और की 'वर्चुअल रिऐलिटी.....
  

Thursday, 12 November 2015

मेरा नाम


मेरा  नाम

क्या  होता  अगर  ये  सब  न  होता  ….
कुछ  यूँ  होता  …. जो  सोचा  न  होता  ….

मिलते  हम  भी  किसी  सरे  बाजार   में  …..
न  होती  ये  गुंजाइशें ..

बस  देखते  यूँ  बाद  टकराने … .
यूँ  होता  कोई  मंज़र
न  होती दरमियान   ये  सिफारशें  ….

न  होती  ये  बेचैन  सी  मुस्कराहटें  ..
बस  होती  बेलफ़ज़  सी  बाते ….
बस  होते  हम  होते  एक  दोनों  …
न  होती  कोई  शिकवे  शिकायते ….

तुम पुकारो मुझे मेरे ही  नाम से ...
तेरे पुकारने से ही तो मुझे अपनी खबर मिलती हैं ..

और जब कोई पुकारे  मेरा  नाम ..
तेरा  यूँ पलट  के  देखना
तेरी  इसी  बात में तो ही मुझे मोहब्बत दिखती हैं

- पंकज शर्मा -

Wednesday, 11 November 2015

ਸੱਜਣਾ


ਸੱਜਣਾ

ਸੱਜਣਾ ਇਹ ਕੋਈ ਗੱਲ ਤੇ ਨਹੀਂ ਨਾ ..
ਇਹ ਕਿਸੇ ਮਸਲੇ ਦਾ ਹੱਲ ਤੇ ਨਹੀਂ ਨਾ ..
ਜੇ ਸਾਨੂ ਨੀ ਆਇਆ ਪਿਆਰ ਕਰਨਾ
ਤੈਨੂ ਵੀ ਤੇ ਵੱਲ ਤੇ ਨਹੀਂ ਨਾ

ਤੈਨੂ ਪਿਆਰ ਕੀਤਾ , ਦਿਲ ਦਿਤਾ ..
ਜੇ ਦਿਲ ਦਿੱਤਾ... ਤਾਂ ਦਿੱਤਾ
ਦਿੱਤਾ ਕੋਈ ਫੁੱਲ ਫਲ ਤੇ ਨਹੀਂ ਨਾ ....
ਸੱਜਣਾ ਇਹ ਕੋਈ ਗਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ
ਇਹ ਕਿਸੇ ਮਸਲੇ ਦਾ ਹੱਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ

ਤੈਨੂ ਸੋਚਿਏ , ਤੈਨੂ ਪੜ੍ਹੀਏ , ਤੈਨੂ ਲਿਖੀਏ ...
QISSEY ਲਿਖਣਾ ਵੀ ਕੋਈ ਝੱਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ ..
ਸੱਜਣਾ ਇਹ ਕੋਈ ਗਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ ...
ਇਹ ਕਿਸੇ ਮਸਲੇ ਦਾ ਹੱਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ


ਜਰਾ ਹੋਵੇ ਖਫਾ , ਰੋੜੀਏ ਤੇਰੇ ਵੱਲ ਹੰਝੂ ..
ਤੂੰ ਕਹਿਣਾ - ਹੰਝੂ ਹੀ ਐ ?...
ਕੋਈ ਪਾਣੀ ਵਾਲਾ ਨੱਲ ਤੇ ਨਹੀਂ ਨਾ ......
ਸੱਜਣਾ ਇਹ ਕੋਈ ਗਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ
ਇਹ ਕਿਸੇ ਮਸਲੇ ਦਾ ਹੱਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ

ਸਤਵੇ ਅਸਮਾਨੀ ਤੂੰ ਚੜ ਬੈਠਾ ...
ਥੱਲੇ ਆ , ਥੱਲੇ ਕੋਈ ਦਲਦਲ ਤੇ ਨਹੀਂ ਨਾ
ਸੱਜਣਾ ਇਹ ਕੋਈ ਗਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ
ਇਹ ਕਿਸੇ ਮਸਲੇ ਦਾ ਹੱਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ

ਹੋਵਾਂ ਝੂਠਾ ਬੇਈਮਾਨ ਤਾਂ ਪਰਖ ਲਈ ਜਦ
ਐਡਾ ਤਾਂ ਤੂੰ ਵੀ ਕੋਈ ਡਲ ਤੇ ਨਹੀਂ ਨਾ ...
ਸੱਜਣਾ ਇਹ ਕੋਈ ਗਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ
ਇਹ ਕਿਸੇ ਮਸਲੇ ਦਾ ਹੱਲ ਤੇ ਨਹੀ ਨਾ
ਜੇ ਸਾਨੂ ਵੀ ਨਹੀ ਆਇਆ ਪਿਆਰ ਕਰਨਾ ਤਾਂ ...
ਤੈਨੂ ਵੀ ਤੇ ਵੱਲ ਤੇ ਨਹੀਂ ਨਾ

ਪੰਕਜ ਸ਼ਰਮਾ 

Tuesday, 10 November 2015

ਇਕ ਗੱਲ






ਇਕ ਗੱਲ
ਗਲ ਓਹ ਨਹੀਂ ਕਿ ਮੈਨੂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੀ ..
ਗਲ ਇਹ ਕਿ I love PUNJABI Since CHILDHOOD ...
ਗਲ ਓਹ ਨਹੀ ਕਿ ਮੈਨੂ JEANS TOP ਆਲੀ ਪਸੰਦ ਨਹੀ ਆਉਂਦੀ ...
ਗਲ ਇਹ ਹੈਂ ਕਿ I LOVE the GIRL in PUNJABI SUIT ........




ਗੱਲ  ਓਹ  ਨਹੀ  ਤੂੰ ਹਾਂ  ਨਹੀ  ਕਰਦੀ   …..
ਗਲ  ਇਹ  ਹੈ ਕਿ ਮੁੰਡਾ PURPOSE ਨਹੀ  ਕਰਦਾ …….
ਗੱਲ  ਓਹ  ਨਹੀ  ਕਿ ਤੂੰ ਮੁੰਡੇ  ਤੇ ਨਹੀ  ਮਾਰਦੀ  ….
ਗੱਲ ਇਹ  ਹੈ  ਕਿ ਮੁੰਡਾ  ਤੇਰੇ  ਤੇ  ਜਿਆਦਾ  ਮਰਦਾ



ਗਲ ਓਹ ਨਹੀ ਕਿ  ਪਿਆਰ ਨਹੀ ਕਰਦਾ ..
ਗਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਆਕੜ ਸਹੀ ਨਹੀ ਜਾਂਦੀ ..
ਗਲ ਓਹ ਨਹੀ ਕਿ ਰੁੱਸੀ ਨਹੀਂ ਮਨਾਉਣੀ  ਨਹੀ ਆਉਂਦੀ ..
ਗਲ ਇਹ ਹੈਂ ਕਿ ਛੱਡ ਕਿ ਗਈ ਮੁੜ੍ਹ ਬੁਲਾਉਣੀ ਨਹੀ ਆਉਂਦੀ..



ਗੱਲ ਓਹ ਨਹੀ ਕਿ ਮੈਂ ਚੁੱਪ ਨਹੀ ਰਹਿੰਦਾ ....
ਗੱਲ ਇਹ ਕਿ ਦਿਲ ਵਾਲੀ ਗੱਲ ਕਹਿਣੋ ਰਹੇ ਸੰਗਦਾ  .......
ਗੱਲ ਓਹ ਨਹੀ ਕਿ ਕੋਈ ਫ਼ਰਕ ਨਹੀ ਪੈਂਦਾ ....
ਗੱਲ ਇਹ ਹੈਂ ਕਿ ਬਾਕੀ ਦਾ ਵਕ਼ਤ ਹੁਣ ਕਿੱਦਾ ਲੰਘਦਾ ...



ਗਲ ਓਹ ਨਹੀ ਕਿ ਨੂਰ ਵਖਰਾ ਹੈਂ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ ..
ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ ਨਾਮ ਨਹੀ ਲੈਣਾ ...
ਗੱਲ ਓਹ ਨਹੀ ਕਿ ਤੂੰ  ਰਾਜ਼ੀ ਨਹੀ ਤਾਂ ਕੀ ਕਰਨਾ  ....
ਗੱਲ ਇਹ ਹੈਂ ਕਿ ਆਉਂਦੇ ਜਾਂਦੇ ਸਾਹਵਾਂ  ਵਿਚ ਕੀ ਲੈਣਾ.......

ਪੰਕਜ ਸ਼ਰਮਾ

HAPPY DIWALI ALL OF YOU

Sunday, 8 November 2015

ਅਪਸਰਾ



ਅਪਸਰਾ 


ਰੰਗ ਰੂਪ ਤੈਨੂ  ਖੁਦਾ  ਨੇ  ਖੁੱਲ  ਕੇ  ਦਿਤਾ  ...
ਲਗਦਾ  ਤੂੰ  ਬੈਠ ਇਕੱਲੇ ਹੁਸਨ  ਪਿਆਲਾ ਪੀਤਾ...
ਜੋ ਵੀ  ਆਵੇ ਤੈਨੂ  ਦੇਖ  ਕੇ  ਆਪਣੇ  ਹੋਸ਼  ਗੁਵਾਵੇ  ....
ਨੈਣਾ  ਦੇ  ਸਾਗਰ  ਚ  ਤੇਰੇ  ਜਾਮ ਇਕ  ਪੀ  ਜਾਵੇ ...

ਗੋਲ  ਚੇਹਰਾ  , ਰੰਗ  ਗੋਰਾ  , ਵਾਲ  ਜਿਵੇਂ  ਕੋਈ  ਘੱਟਾ  ਕਾਲੀ ..
ਹੋਠ  ਲੱਗਣ  ਗੁਲਾਬ  ਦੀਆ  ਪੱਤੀਆ ਲਾ  ਲਵੇ  ਜਦੋ  ਗੁਲਾਲੀ ..
ਸਿਰ  ਉੱਤੇ  ਚੁੰਨੀ  ,ਮਥੇ   ਉੱਤੇ  ਬਿੰਦੀ  ਚੜਦਾ  ਸੂਰਜ  ਜਾਪੇ  ...
ਅਪਸਰਾ  ਨੂੰ  ਜਿੰਨ ਵੀ ਜੰਮਿਆ  , ਧੰਨ  ਤੇਰੇ ਓਹ੍ਹ  ਮਾਪੇ  ....


ਨੈਨ  ਨਕਸ਼  ਤੇਰੇ  ਬਹੁਤ  ਹੀ  ਤੀਖ਼ੇ  , ਦੰਦ  ਤੇਰੇ  ਹੈਂ  ਮੋਤੀ ...
ਸੰਗਮਰਮਰ  ਦੀ  ਸੂਰਤ  , ਜਿਵੇਂ  ਦੁਧ   ਨਾਲ  ਹੈਂ  ਧੋਤੀ  ...
ਗੁੱਸਾ  ਤੈਨੂ  ਕਦੀ  ਨਾ  ਆਵੇ   ਸਦਾ  ਰਹੇ  ਤੂੰ  ਹਸਦੀ ....
ਚੰਨ  ਤੋ  ਵੀ  ਵਧ  ਸੋਹਨੀ  ਲੱਗੇ  ਰਾਤ  ਚਾਨਣੀ   ਦਸਦੀ .....

ਪੰਕਜ ਸ਼ਰਮਾ

Wednesday, 4 November 2015

लफ्ज़



LAFAZ

कोई  मुझसे  पूछे कि सबसे  मुश्किल  क्या  है ? - "तो  मैं  कहता  हूँ  उम्मीदों  में  पनपता 'इंतज़ार'
आज  कल  उदास  मौसम  हैं  ... लिखने  का  इंतज़ार  रहता  हैं  .....
कब  कोई  ख्याल बने... और  उस ख्याल को क़ैद  कर तुम्हे  लिख स्कू ...
कुछ  दिन बेचैनियों में  गुज़रे  ... कुछ  इंतज़ार  में  गुज़रे
फिर इंतज़ार  के बाद एक  नए  मौसम  में  लिख दिया -  ..नए  मौसम  का  नया  रंग
एक  नया  "क़िस्सा" |

ये  इंतज़ार  भी  गज़ब  हैं  .. |
आज  कल  नींद  में  ख्वाब  आते  हैं
ख्वाबो  में  तुम  |
और  इसके  आगे  आते  हैं  लफ्ज़ो  की  दुनिया में  मोड़  ...!!!!
मेरे तो कई  "ख्वाब" अधूरे  हैं  - जैसे  की  ???
लेकिन  इस  उदास  मौसम  में  एक  सिलसिला  शुरू किया हैं- शायद  लिखते  लिखते  उसका  ज़िकर  करता  रहूँ |

बाकी  लफ्ज़ो  ने  फिर  से  इरादा  कर  लिया तो  लिख  दिया |
फिर से इन अधूरे लिखे ख्वाबो को पूरा करना हैं  -
ख्वाब, हकीक़त, चाहत, आरज़ू, इंतज़ार....|||

ऐसा  वादा  तो  नहीं  पर  दिल  की  बात  ज़रूर  करुगा  ...
मुझे  मालूम  हैं -जानता हूँ  सारे ख्वाब  झूठे  हैं |
जो  ख्वाहशें हैं  वो  भी  अधूरी  हैं  और  अधूरी  रहेगी  ...!!!!
मगर  ज़िंदा  रहने  के  लिए  ऐसे  उदास  मौसम  में  ऐसी गलतफहमियां भी  तो ज़रूरी  हैं  |

आज  कल हवाओं में  अजीब  सी  तरह  की  ख़ामोशी  हैं  ...
जो  बोलती  बहुत  कुछ  हैं  ...लेकिन  सुनती  कुछ  भी  नहीं ...|
शायद  एक  शहर  वैसा  हैं  या  लोग  नए  हैं - जाने  क्यों  तुम्हे  छोड़  और  किसी  से  तबियत  नहीं  मिलती .....

ये  उदास  रास्ते  ...
उदास  मंज़िलें   ..
उदास  ज़िन्दगी  ...
उदास  मौसम
उदास  वक़्त  ....
देख  कितनी  चीज़ो  पे  इलज़ाम  लग  जाता  हैं  एक  तेरे  न  बात  करने  से  !!!!!!!
पर  ये  ख़ामोशी  भी  अच्छी  हैं  अब से इस  ख़ामोशी  को  ख़ामोशी  से  बात  करने  दो  |
 ज़रूरी नहीं की हर बार एहसास लिख  कर जताऐ ,कुछ वक़्त की लफ्ज़ो की  ख़ामोशी भी अच्छी होती है|

पर  रोज़  लिखने  का  इन्त्ज़ार  रहता  हैं  ....
जैसे  शुरू  करता  हूँ  ये लफ्ज़  कहीं  डूब  जाते  है  ..
जैसे  गुलाबी  शाम  अपने  अंदर  सफेदी  को  छुपा  लेती  हैं  ....

रोज़  बैठता  हूँ  जो देखा था  तेरे  साथ  एक  ख्वाब
उस  ख्वाब  को  ख्याली  पुलाव  में  डुबो  कर  कुछ  रंग  लिख  स्कू ..

पर  सुना  हैं  काफी  बदल  गए  हो  तुम  ... आजकल  मेरा  लिखा  पढ़  नहीं  पाते  ..
अच्छे   तो  वो  अज़नबी    हैं  .. कम से कम  ख्याली  पुलाव ही  सही  .. दिल  में  छुपे  खामोश  लफ्ज़ो  को  खूब  पहचानते  हैं  ..
पर  इन  ख्याली  पुलाव  की  महिक  बहुत  अच्छी  हैं  |
कहने  को  बहुत  कुछ  रहता  हैं  मेरे  पास  उन  लफ्ज़ो  में  मेरे  एहसास बयाँ  हो  जाए  ऐसे  लफ्ज़  की  तलाश  में  लिखते  लिखते  जाने  कितनी  कल्पनाओ  में  ढूँढा  ....
पर  न  तो  वो  लफ्ज़  ढूंढ  स्का |
और  न  वो  नज़र  जो  तुम्हे  दे  स्कू  ..
अकेला  चलना  नहीं  चाहता  हूँ  .....
वक़्त  के  साथ  दौड़ना  नहीं  चाहता  हूँ  ..
जब  दूर  से  देखता  हूँ
तो  अपने  अंदर  भी  झाँक  लेता  हूँ
कुछ  कमियाँ  हैं ...
कुछ  बेचैनियाँ  हैं  ...
कुछ  मज़बूरिया हैं ....
और  हक़ीक़त  में  भी  कोई  आ  के  कहता  हैं  - दिल  के  बजार  में  नाज़ुक  हो ..!
क्या  नाज़ुक  होना  अच्छा  नहीं  ये  तो  दिल  की  बात  हैं  ...
पर  दिल  की बातें  तो  होती ही  है  लफ्ज़ो  की  धोखेबाज़ी  ....

लोग  कहते  हैं  "you are not a writer ..only supposed to be writer ..."
मेरे  होने  न  होने  से  क्या  फर्क  पड़ता  है ..
मेरी  ख़ुशी  तो  इसी  में  हैं  ..
और  हमारे  लिए  कोई  क्या  सोचता  हैं  ..ये  तो  सोच  हैं  उनकी  जो  अच्छा   नहीं  सोच  सकता  तो  गलत  सोचता  हैं  ..????

मेरे  लिए  ये  मेरी  आदत  भी  हैं  ...
नशा  भी  हैं  ...
तुम्हे  देखना  .. तुम्हे  चाहते  रहना  शायद  इससे  से  बढ़ा  कोई  नशा  नहीं  ..!!
बस  ये  खामोशिया  साथ  देती  रहे  !!!

कभी  सोचता  हूँ  लिखना  छोड़  दू ..
फिर  क़िस्से  तो   लिखता  ही   हूँ  ....
यहाँ  नहीं  तो  कहीं  और  किसी  कोरे  कागज़  के  ऊपर
किसी  दीवार के  ऊपर  ..
किसी  खिड़की  के  पास  ..
अंदर  आती  हवाओं  के  साथ  बातें  करते करते ....
अगर कोई पूछे कि दरवाज़े अच्छे होते हैं या खिड़कियां
तो बताना कि दरवाज़े दिन के वक़्त
और खिड़कियां शामों को
और शामें उनकी अच्छी होती हैं
जो एक इन्तज़ार से दूसरे इन्तज़ार में सफ़र करते हैं
हालांकि सफ़र तो उस आग का नाम है
जो कल्पनाओ  से हकीकत  पर कभी नहीं उतरी |
खैर फिर  जा रहा हूँ इस बार कुछ अधूरे लफ्ज़ ले कर
फिर वापस लौटूंगा
 अधूरी कहानियाँ, अधूरे लोग  , अधूरे सपने , अधूरे जज्बात ,कुछ अनसुने अल्फ़ाज़ कुछ अनकही सी बातें .अधूरे एहसास
मगर एक मुकम्मल लफ्ज़ के साथ |
ख्वाब, हकीक़त, चाहत, आरज़ू, इंतज़ार के साथ |


| पंकज शर्मा | 

ਚਿਖੋਵ

1892 ਵਿੱਚ, ਚੇਖੋਵ ਨੇ ਮਾਸਕੋ ਤੋਂ ਲਗਭਗ 50 ਮੀਲ ਦੂਰ, ਇੱਕ ਵੱਡੇ ਜੰਗਲੀ ਇਲਾਕੇ ਵਿੱਚ ਮੇਲਿਖੋਵੋ ਏਸਟੇਟ ਖਰੀਦਿਆ। ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਉਹ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ, ਉਹ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਦ...