| बारिश |
रात का वक़्त आसमान से गरजती बिजलियाँ ... खिड़की के बाहर से अंदर आती हवा जैसे इशारा कर रही हो .. कुछ बताना चाह रही हो ये july महीने की पहली ठंडी हवाएं |
जैसे बोल रही हो की जिस बारिश को तुम किसी और शहर में छोड़ आये थे ... मेरा पीछा करती करती मेरे घर तक आ पहुंची हैं |
तुम्हारे इलावा किसी और को अगर खुले हाथो में लेता हूँ तो वो हैं ये " बारिशे " |
ये बारिशो का पानी अच्छा लगता हैं |
ये बारिश कि बूंदे, महका सा पानी; ये हँसती रात और हवा में रवानी....
हू ब हू .... बिलकुल तुम्हारे खुले बालो जैसी ..|
बारिश लगता है हमारी अच्छी दोस्त हैं .... जब भी दिल से फ़रियाद करो बरस पड़ती हैं.....
और सच कहू तो जब तुम इन बारिशो में......खुली हवाओ से बाते करती हो तो और भी खूबसूरत लगती हो |
वो आखिरी दिन तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी हस्सी देखने के बाद बादलो की तरफ देखा ...
तो बादलो से बूंदे जो गिरी बारिश की यूं कुछ ख्याल भीग गए मेरे |
लगा जैसे बादल की क़ैद में बैठी बूंदो को मेरे कहने से आज़ादी मिली हो |
ये सोंधी सोंधी खुशबू...ये बारिश की बूंदे..|
इसमें ख्याल , खुशबू और याद दोनों थे |
और एक उस दिन शहर की overpolluted हवाओ का मिज़ाज़ कुछ तो बदला बदला सा लग रहा था |
कभी कभी सोचता हूँ कितना अजीब हूँ ... अनारी हूँ |
सब के दिल की बात समझ लेता हूँ |
बिना सुने पढ़े दूसरो की आँखों के सागर में से अलफ़ाज़ पढ़ लेता हूँ |
फिर तुम्हे ही क्यों नई समझ सका |
और तुम मुझे |
खैर मुझे अपनी कोई फ़िक़र नहीं .... पर तरस आता है मुझे इन सावन के बादलो पे जो .... प्यार में गिरफ्तार दोस्त की हालत देख कर ठंडी ठंडी आहें भरते बरस पड़ते हैं |
सच कहूँ तो वो अनजान जगह , एक अनसुना गांव, पास बहती नदी, दूर दूर पहाड़ो के बीच, कुछ अपना सी ढूंढती तुम्हारी नज़रो में आई वो चमक और ढाई इंच की तुम्हारी smile ..... मेरे लिए दुनिया की सबसे अनमोल और खूबसूरत चीज़ थी |
ये फुर्सतों का दौर हो या वो लम्हा हो ...... तेरी यारियां हो या मेरा इश्क़ .. बड़े आराम से चल रहा था .. कुछ तेरे अंदर .....या वो मेरे अंदर | पर समझना नासमझ की सोच से परे था
एक एक लम्हा बारिश के पानी की तरह बिलकुल पास से हो के जा रहा था | और गुम हो रहा था किसी काल में |
इन सपनो से वापस लौटता तो क्या देखता हूँ तुम वापस जा रही हो - काश !! एक बार पलट कर देखा होता मेरी आँखो मे !! शायद दो-चार अश्क आ जाते तुम्हारे भी आँखो मे !!
पर अश्क़ तो अश्क़ हैं
अश्क़ मेरी ज़िंदगानी हैं
इस लिए जब रूह की वो झील सुखी हो ....
और मंन में वो आग चलती है ...
तो झील से अश्क़ में से कुछ अश्क़ खुद पी लेता हूँ |
बहुत वक़्त लगा हैं सम्भलने में ....... पर ये दिल तो दिल हैं जब किसी के लिए धड़क उठता है तो फैसले दिमाग से नहीं दिल से लेना शुरू कर देता है |
इबादत हद से गुज़र जाए तो कई बार चुनौती बन जाती हैं |
अजीब हैं मेरा अकेलापन , पागलपन | - तेरी चाहत भी नहीं और तेरी जरूरत भी हैं |
मैं हमेशा संभलता रहूंगा अगर तेरा हाथ मेरे हाथ में रहे ..
उम्मीद ! अब कुछ तुमसे क्या करूँ... यह क्या कम है, तेरे साथ कट रही है..!!!!
पर ज़रा संभल के रहना, मौसम बारिश का भी है और मुहब्बत का भी..|
मुझे आज तक किसी से प्यार नहीं हुआ .... सच कहूँ तो ये नाप तोल के प्यार करना मैंने सीखा नहीं ...
अगर चाहत को प्यार कहे तो मान सकते है .... " हाँ मैंने भी प्यार किया है |"
और दामन अब तक बेदाग़ रखा है भले ही लोगों के ज़ुबानों पे बदनामी के किस्से हो मेरे |
रिश्ते कभी जिंदगी के साथ साथ नहीं चलते, रिश्ते एक बार बनते है, फिर जिंदगी रिश्तो के साथ साथ चलती है..!!
और इतनी बातो और यादो के क़िस्से सुनाते ...वाह !! बारिश भी रुक गयी |
आज फिर बारिश कि बूदों के साथ तेरे ख्याल में भींग रहे हैं.. चाय है हाथ में और हम कुछ बातो और किस्सों मे डूब रहे हैं..।।
बारिश की बूँदें अभी चेहरे पर ठहरी हुई और जुल्फें मेरे चेहरे पर अटकी हुई.मैं आँखें बंद करता हूँ और सोने की कोशिश करने लगता हूँ..मुझे पता भी नहीं चलता की कब धीरे धीरे नींद मुझे अपने आगोश में समेट लेती है|
मेरे यूँ चुप रहने से नाराज ना हो जाना कभी., दिल से... चाहने वाले तो अकसर खामोश ही रहते है ...!!
| बारिश |
| पंकज शर्मा |
1 comment:
sira pankaj 22... bahut wadiya likheya....
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