TANU WEDS MANU फिल्म के बारे में बड़े दिन से चर्चा सुन रहा था , फिल्म के trailer भी अच्छे लगे | मन में एक बात तो ठान…. ली के, फिल्म तो जरूर देखि जाएगी | 2011 में जब इस फिल्म का पहला भाग आया था तो शायद BATHINDA के फन सिनेमा'स में मेरे इलावा कुछ NEW MARRIED COUPLES ही थे|
.. उस समय फिल्म का मतलब था world cup fever से दूर जाना , उस समय फिल्म के साथ तनु को वापस लेकर लौटा | तनु तब JAB WE MET की करीना से अच्छी लगी | इस साल भी IPL से और जिस तरह से रोमांटिक MOVIES के नाम पर पोर्न बेचा जा रहा हैं , अब मल्टीप्लेक्स मनो सपना लगने लगा |
इस बार आई TANU WEDS MANU RETURNS ...|
पर इस बार मेरे जैसी सोच रखने वाले लोग जो गर्मी और IPL से पक्क चुके थे अपना WEEKENDS tanu और manu को देना चाहते थे ... |
फ्राइडे से लेकर संडे तक FB पे लोगो के updates देखकर दिल डरने लगा .... के यार मूवी देखने चला तो जाऊ ....इसके गानो और तनु की अदाएं कही और आजमाने का दिल किया |
बचपन में फिल्मो के लिए craze अलग LEVEL पे होता था |
क्युकी वो फिल्मे A .C में न हो कर एक पंखे वाले हाल में देखि जाती , मुलायम गद्दो की जगह सपाट लकड़ी की कुर्सिया होती ...|
तारीख आई 24 may जन्मदिन के 1 दिन बाद दोस्त रिश्तेदार इस मूवी को मेरे प्लान के मुताबिक देखने से मना कर चुके थे ....
इस बार निकल पढ़ा | अपने एक नए नवेले दोस्त के साथ जिसने फिल्म देखते देखते खूबसूरत लम्हों को कागज़ पे उतार लिया |
मैंने तय किया और चुना अपने कुछ छिछोरे दोस्तों को और MULTIPLEX की जगह किसी कमज़ोर इमारतों वाले सिनेमा हाल की की सैर करवाई |
जहाँ पर संडे के दिन वो ऑडियंस आये जो फिल्म के emotion के साथ चले , न की AC की हवा के साथ बैठी रहे ... जहा फिल्म के उताव चढ़ाव पर नाखून खाए जाए , न की popcorn |
सिनेमा हाल में दाखिल हुआ और देखा की - पूरा उत्तर प्रदेश और बिहार आ चूका है ... कुछ भाई आसाम से भी आये हुए थे ...... चेहरे पर ख़ुशी आ गयी- " चलो सही ठिकाने पे आ गया हूँ ".... एक सीट पकड़ी और बैठ गए देखने 13 साल बाद उसी सिनेमा घर में जहाँ मांमाँ जी की ऊँगली पकड़कर देखने आय| करते थे कभी .........|
फिल्म की शुरुवात में जैसे ही "no smoking" ki advt …..आई सभी भाइयो ने अपनी अपनी बीड़ी जला ली .... देख कर हंसी भी आई और प्यार भी के हम लोगो को जिस चीज़ से रोका जाये वो करने को हम वो मज़े से करते हैं | सिगरेट नहीं पीता हूँ पर इसका धुआं मुझे वहा बैठे अच्छा लगा ... पता नहीं क्यों ???
फिल्म शुरू हुई अमेरिका में जहा तनु अपने पति के साथ शादी के 4 साल बाद , मनु के पागलपन के बारे में डॉक्टर्स को बता रही है के उसका पति अब पहले जैसा नहीं रहा ..... तनु जैसी भारत की अनेको लडकिया तनु में खुद को ढूंढ सकती हैं की यही प्रॉब्लम्स को तनु बहुत अच्छे अंदाज़ में अपने कामकाजी पति के बारे में पिछले 4 साल का ब्यौरा दे रही है . उसका पति उसे घूमने नहीं ले जाता , रोमांटिक बातैं नहीं करता , 40 साल का मोटा डॉक्टर मनु बिलकुल बदल गया है ..... और मनु अपनी सफाइयां देते हुए भारत के सभी पतियों का दर्द बयान कर जाता हैं ... ये सुन क डॉक्टर उसे सच्ची में पागल समझकर पागलखाने में डालते हैं |
धीरे धीरे शुरू हुयी ये तनु की गाडी मनु को किसी पागलखाने छोड़ कर कानपूर चली जाती है ... वहा से कानपूर में उसी के घर पर बैठे 6 महीने से बिना किराया दिए बैठे .. रामपुर वाले चिंटू के साथ FLIRT और दारु के पेग मारती.. फिर वहां से अपने पुराने प्यार राजा अवस्थी के पास जो बिना देखे तनु के जैसे दिखने वाली लड़की के साथ आँख बंद करके शादी करने जा रहा है के ... पहुँच जाती है तनु dil उनकी शुरू हुयी कहानी में ब्रेक डालने |
इधर मनु शर्मा दिल्ली आ के तनु को तलाक देने की सोचता हैं और तनु के जैसे दिखने वाली धत्तो से पहली नज़र का दूसरा प्यार कर बैठता हैं |........ उसकी सूरत से नहीं सिर्फ इस लिए प्यार होता है के वो तनु के जैसे दिखती है ... कहानी सभी किरदारों को एक साथ हरयाणा के झज्जर गाँव में एक साथ ला देती है और प्यार जब लात पड़ती है तो इंसान आगे गिरता है कुछ ऐसा होता है तनु के साथ |
अब तनु इस बार ठान लेती है की जब तक मनु शर्मा जी की शादी नहीं होगी धत्तो के साथ........ वापस नहीं जाएगी | बावली हो गयी पे चाह के भी कुर्सी पे बैठा नहीं जा स्का |..... मनु को सभी रोक रहे है दूसरी शादी करने के लिए| ... आखिर तक कहानी पूरी रफ़्तार पकड़ लेती हैं |
रिश्तो की उलझनों को ..कहानी के WRITER ने बाखूबी अच्छा लिखा है | बड़ी बात ये है के MODREN लड़की की सोच पे सब ने खुल के हंसी और क्या बात !!! ठोकी |
बड़ी बड़ी बातें कौन करे। तनु वेड्स मनु रिटर्न देखकर हंसी रुकेगी नहीं
तनु के किरदार में....आज की हर लड़की जो "अपने आप " में MYCHOICE का नारा लगाती है बहुत अच्छे खुद को देख सकती है ..तनु नई सोच की लड़की हैं .. तनु आज की लड़की की कहानी हैं बाकियो से अलग |
बॉलीवुड में अधिकतर रोमांटिक या रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों में लड़का-लड़की को आख़िर में एक साथ दिखा देते हैं और फिल्म वहीं ख़त्म हो जाती है. लेकिन क्या फिल्में हमें उसके आगे की कहानी बताती हैं?
आम ज़िंदगी के कई जोड़े शादी कर लेते हैं, लेकिन कुछ सालों में ही उनका रोमांस ख़त्म होने लगता है. इसके बाद दोनों एक-दूसरे की उन आदतों से वाकिफ होते हैं जो उन्हें शादी से पहले नहीं पता थीं या पता होते हुए भी वह उन आदतों को अनदेखा कर दिया करते थे. आज जब तमाम रिश्ते नाते बिखर रहे हैं, ऐसे में सात जन्मों का मजबूत रिश्ता समझा जाने वाला पति-पत्नी का रिश्ता भी इससे बचा नहीं है|
कहानी आगे बढ़ती हैं ... तनु के लिए दिल में सच्चा प्यार अभी भी है , मनु delhi आता है और DELHI UNIVERSITY में मिलता है स्पोर्ट्स कोटे वाली। झज्जर की दत्तो सांगवान , ये किरदार आप की आँखों में धुल झोकता हैं
'म्हारा नाम है कुमारी कुसुम सांगवान और यो म्हारी सहेली पिंकी'
........ कसम ऊपर वाले की आज तक हमशक्लों वाली फिल्मे देखि होगी पर इस कुसुम दत्तो का किरदार में और तनु के किरदार की पहचान को देखकर मनु जी की तरह आप भी धोखा खा जायेंगे |जिस हरियाणा के समाज में औरतों को लेकर इतना तनाव है उस समाज में कंगना रानावत कितनी आसानी से घुस कर ढिशूम ढिशूम कर देती हैं। एक कलाकार जब अपने किरदार का हो जाए तो बदले में वह किरदार उस कलाकार को बहुत बड़ा बना देता है। कंगना ने तो एक ही फिल्म में दो-दो किरदार आसानी से जी लिए। बावरी और पागल दोनों को ऐसे निभाया जैसे लगा कि दोनों अलग अलग हैं |
एक और किरदार इस कहानी को अपने कंधो पे लिए तनु मनु और राजा अवस्थी के बीच ..मोहब्बत ढूंढता दीखता है -- "चिंटू जी रामपुर वाले" , रांझणा के बाद फिर दिल जीत ले गए |
अपने आप में ये किरदार आपको आस पास घुमते मिल जायेंगे ... देखो तो कुछ भी नहीं , समझो तोह सोच से दूर की दुनिआ में जीते किरदार .... पर रहते जरूर है .. हमारी गली नई तो किसी और गली में|
पप्पी भैया के बिना TANU WEDS MANU अधूरी लगती हैं .... जैसे जो काम कभी JOHNEY LEVER साब किया करते थे ..
बड़ी बड़ी बातें कौन करे। तनु वेड्स मनु रिटर्न देखकर हंसी रुक सके तो रोक लेना जी और इस फिल्म के पप्पी जी न हो तो शादियों वाली फिल्मों की बात नहीं बनती। वही पप्पी जी, जो ज़िंदगी में कुछ पाने से चूक गए, मगर साथ निभाने को हमेशा मौजूद। हर घर में होम डिलिवरी की तरह। दूसरों की शादियों में गाते बजाते रहे और अपनी शादी के लिए तरसते रहे। पप्पी जी ने रंग जमा दिया।
कहानी आगे बढ़ती है और मनु शर्मा को इस बार प्यार होता है .. थोड़ी थोड़ी सी दिखने वाली धत्तो से .... ये चीज़ भी एक इंसान की DIL KE दिमाग को बयान करती हैं|
के कैसे ...किसी इंसान को दूसरी बार भी सच्चा प्यार हो जाता है .. मेरा TANU WEDS MANU को देखने का मकसद यही था कि कैसे कोई आदमी एक बार सच्चे प्यार में आके शादी के बाद बिन तल्लाक दिए सच्चा प्यार कर सकता है ...???
इस फिल्म में दत्तो और तनु के प्यार के बीच फंसे मनु आखिरी फेरे तक इसी सोच में रहते है के वो दत्तो से शादी क्यों कर रहे हैं ???? और तनु को छोड़ क्यों रहे है ???
ये सभी किरदार आप के आस पास घुमते दिखेंगे ...तनु के किरदार में OPEN MINDED लडकिया अपने आप को परदे पर अपनी कहानी होती देख सकती हैं |शादी हिंदुस्तानी समाज का सबसे बड़ा सपना और त्योहार है। सबका अनुभव एक सा है। अजीब रस्म है। इतनी कड़वाहटों के बुनियाद पर रची जाती है, मगर उसमें से भी सबके लिए अपार खुशियों और यादों का मौका निकल ही आता है। चाहे शादी मेल मिलाप से हो जाए या कुंडली मिलन से। बंगाली बाबा का बोर्ड बताता है कि शादी के अंदर की समस्याओं का समाधान आज तक कोई नहीं ढूंढ सका है। इसलिए शादियों वाली फिल्मों की बात ही कुछ और होती है। लगता है कि हमारे घर की कहानी चल रही है
फिल्म का एक डायलाग जान ले लेता है जिसमे my DEAR तनु बोलती है - “वाह शर्मा जी! हम थोड़े से बेवफा क्या हुए, आप तो बदचलन हो गए!”
देखा जाय तो इस डायलाग में बदलते समाज की आहट साफ़ सुनायी देती है. लड़का, लड़की अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी से बेहद जल्दी बोर होने लगे हैं और इस क्रम में बेवफाई और बदचलनी की राह चुन लेना, उनके लिए बेहद आसान सी बात बन गयी है. और इसके बाद, तलाक और अकेलापन. फिर कुछ दिन बाद, दूसरी शादी, लिव-इन और फिर वही सोच NO SATISFACTION ......
तारीफ के लिए बचे है मेरे पसंदीदा JIMMY पाजी उन्होंने साबित किया के किरदार में length नहीं ... impact और effect देखा जाता है ... जो के KHANS ये भूल गए है |
और इस फिल्म का एक एक सीन पे तालिया और सीटी बजती हैं ..... कहानी सीढ़ी साधी इस लिए अच्छी लगती है |
फिल्म के गानो पे मैं तो खूब तनु जी के साथ नाचा हूँ
, धत्तो के किरदार के साथ और तनु के किरदार साथ आप आखिर तक चलते रहेंगे |
मनु का किरदार अछा लगा |
कुल मिला के बोलू तोह फिल्म का हीरो है - ANAND L RAI ...... tanu WEDS manu और RAANJHANAA के बाद फिर दिल जीता |
आखिर में कहूँगा ...... फिल्म से बाहर आते सिनेमा को पीछे मुड़कर देखा तो मानो जैसे सिनेमा हाल और कुर्सिया मेरा शुक्रिया कह रही हो -और बोल रहे हो --"कदे साडी गली भूल के वी आया करो |"
आप भी एक बार देखने का विचार जरूर कीजियेगा |
THANKS FOR READING
PANKAJ SHARMA