किसी ने आज कहा के मेरे बारे में कुछ लिखो .... बदले में कुछ भी मांग लेना ...
जानते हो क्या लिखा ... " नहीं लिख पाउँगा "
तुम्हे जो लिखता हूँ ... सौदेबाज़ी करनी सीखा नहीं |
, चाहे रिश्ता कोई नहीं है
तुमसे सीखा है कि - रिश्ते और रास्ते सँभल के चुनने चाहिए।
रिश्ते और रास्तो के बीच एक अजीब सा रिश्ता होता है …….
कभी रिश्तो से रास्ते मिल जाते है .
और कभी कभी ….. रास्तो में रिश्ते बन जाते है .
तुम लिखना के …" तुम्हे भी किसी से मोहब्बत हुई थी …..
और फिर उस मोहब्बत में हुई नाकामी लिखना …..
यु हज़ार बार भी टूटे या रूठे …
मना लूँगा तुजे …..
मगर देख तेरे और मेरे बीच शामिल कोई दूसरा ना हो ..
तुम नाराज़ होती हो तो अच्छी लगती हो ..
तुम हस्ती हो तो अच्छी लगती हो ..
तुम जब बात नहीं करती हो तो भी अच्छी लगती हो …
तुम दूर होती हो तो अच्छी लगती हो ...
तुम आदत हो या पागलपन
या हो ज़िद मेरी …..
हकीकत हो या कल्पना मेरी सब में ….
तुम बस
मेरी लगती हो …..
दिल से नहीं आज होठो से कहता हूँ …
तुम हमेशा से अच्छी लगती हो …
तुम्हे लिखना भी एक आदत सी है .....
तुम्हे सोचना भी एक आदत सी है.....
तुम्हे भूलने की कोशिश हैं ....
पर रोज़ याद करना भी तो एक आदत है
जैसे साँस लेना आदत है ..
तुम भी एक आदत हो ...
पर ये आदत मुझे अच्छी लगती है ...
तुम्हे हांसिल करने के लिए नहीं लिखता हूँ ...
लिखता हूँ क्युंकि तुम्हे मेरी बातो से अपनी खबर मिलती रहे |
तुम मुझे जिंदगी में हमेशा जरूरी समझना
सुना है जरूरी काम तुम जरूर याद रखती हो..|||
QISSEY
PANKAJ SHARMA 20-MAY-2015
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