मैं कभी भी कोई बैंक कर्मचारी नहीं बनना चाहता हूँ ..
न ही खाने पीने की चीजों की बिक्री करने वाला ...
न ही विदेशी कंपनियों का सेल्समैन...
न ही कोई संघी
न ही हुड़दंगी
न किसी पार्टी का मुखिया
और न ही कोई टैक्सी ड्राइवर
न ही इधर उधर फुदकता सुपरहीरो
मैं तो चाहता था बस उसे देख स्कू
बस इतना चाहता था
शहर की सबसे ऊंची जगह पे खड़ा हो के
नीचे घनी इमारतों के बीच
उस लड़की का घर देख स्कू
जिससे मैं मोहब्बत करता हूँ
इस लिए मैं एक मजदूर बन गया ।
मेरी रचनाएं अक्सर यथार्थ व कल्पना का मिश्रण व प्रतिबिम्ब होती हैं और ये आवश्यक नहीं कि वो मेरी व्यक्तिगत जीवन की घटनायें ही हों | हमारे साथियो की तरह आप भी हमें - लेखक, विचारक , ब्लॉगर , क़ाबिल बेरोज़गार, भारतीय, सीधा साधा ,बातूनी , चंट, चालाक ,चटपटा, चटोरा ,पागल कह सकते हैं ...| एक बार qissey पढ़कर देखिये बाकी मर्जी के मालिक आप है| रंगमच मेरी एकलौती मोहब्बत है |
Sunday, 8 October 2017
इबादत
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