वो वो न रही
मैं मैं न रहा
बरसों बाद की है मुलाकात
उलझन भरी है अंखईओ में
बदले बदले से है चेहरे
कहीं कुछ तेरे ,
कुछ मेरे
वो बात न रही .....
जुबां भी बदली
अंदाज़ भी बदले
वो हाऊ आर यू ? (hw's you )?
आई एम फाइन । (Am fine)
पूछने के बाद
नहीं शुरू हुए
वों किस्से
कहने सुनने और पूछने में .......
वो बात न रही
शायद अब हाथों से नहीं
चमच से लगता है
राज़मा चावलों का स्वाद उसको..
बिन बातों के
कैसा अच्छा लगता है
खाने का स्वाद उसको
आमने सामने ख़ामोशी में..........
वो बात न रही ...
कितनी खनकदार थी
हँसी उसकी
ये भी न था
शायद याद उसको
शायद मेरे कुछ कहने
उसके हँसने
अब की हँसी मुस्कराहटों में
वो बात न रही ...
नाम बदला
शहर बदला
क्या था जो नहीं बदला
पुकारे तुम्हारा सा कोई नाम
याद है एक पुराना
मेरा एक पासवर्ड जो था
तेरे नाम के बाद मेरा नाम
दो नामों के बीच ......
वो बात न रही
मेरे घर से तेरी और आना
तेरा अपने घर से मेरी और आना
वो एक जगह अब भी वही है
अब चुपचाप गुज़र जाते है
रोज़ तो मिलते है
पर इन मुलाक़ातों में
वो बात न रही
वही तुम हो
वही मैं हूँ
वही शहर है
वही ठंड की बरसात है
वही हम है
वही तुम हो
वही ख्यालात है
कुछ तेरे अंदर
कुछ मेरे अंदर
शायद........
वो बात न रही
Pankaj sharma
साथ जुड़ने के लिए सब्सक्राइब करें
अपना email डाले और notification पाएं
No comments:
Post a Comment