सोचने का भी एक तरीका होता है , सोचना भी बहुत सी छोटी छोटी चीज़ों की तरह कोई नहीं सिखा सकता है ।
जैसे पिछले के बारे में सोच के हम उदास हो लेते है और आगे के बारे में भी ।
जो खुश रह पाते है वो कुछ होते है चलते वक़्त के साथ साथ जीते है ।
अंग्रेजी में जिसे लिव इन प्रेज़न्ट बोलते है ।
ऐसे ही एक व्यक्ति थे " बड़बड़ जी "
उम्र यही कोई 25 बरस ।
रंग- साँवला
कद यही कोई साढ़े पांच फीट
एक दम फुर्तीला इंसान , उसके अंदर ऐसी शक्ति कि मिट्टी को भी सोना कह के बेच दे ।
एक दम परफेक्ट सेल्समैन ।
दिवाली के साथ आते है भूले बिसरे दोस्तों के इनबॉक्स & व्हात्सप्प मैसज ।
सुबह माँ इससे पहले उठाये ।
फ़ोन की स्क्रीन पे फ़्लैश होते है ढ़ेरो फ़ोन कॉल्स और मैसेज । अपनी कमी कहूँ या बुरी आदत
मुझे फ़ोन के general mode से गुरेज़ है ।
अक्सर फ़ोन को साइलेंट मोड पे ही रखा है ।
आलस कह ले या मजबूरी ।
मुझे इसकी टिंग टोंग की दख़ल बर्दाश्त नहीं होती ।
फ़ोन से शुरू से ही ख़ास दोस्ती नहीं है ।
ऐसा समझ लीझिये इसके साथ हमारी अरेंज मैरिज है ।
न ही मैं इसे कभी समझ पाया और न ही ज़रूरत को ।
कुछ साल पहले घर से एक जगह दूर कही नौकरी मिली थी । कंपनी के नियमो के अनुसार सैलरी अकाउंट किसी निजी बैंक में अनुवार्य था । सरकारी बैंक में खाता खुलवाना भी आफ़त है और प्राइवेट बैंक से पहले कभी सामना नहीं हुआ था ।
मुझ जैसे इंसान को बैंक के नाम से खिन्न आती है । निजी बैंक में खाते की अहतियाज़ थी सो पहुँच गये बैंक में ।
ससुराल जाने पे जितनी ख़ातिरदारी जमाई राजा की होती है उसके लगभग ही प्राइवेट बैंक में ।
आदिल कुमार नामक एक सेल्समैन से मुलाकात हो गई ।
बातचीत का अंदाज़ उनका ऐसा था कि जैसे जो उन्होंने कह दिया सात वचन । जान पहचान में ही उन्होंने ने मेरे शहर से अपने 3-4 रिश्तेदार बता दिए । जिस दफ्तर में हमें नौकरी मिली थी वहाँ का हर व्यक्ति उनका दोस्त ।जिस व्यक्ति का नाम लेते उनका नंम्बर फोन डायरेक्टरी में से निकाल के दिखाते । एक दम बड़बड़ एक्सप्रेस ।
खाता खोलने के नाम पर सिर्फ हमारा आधार कार्ड लिया गया और कहा गया बाकी की सेवाएं आप घर बैठे प्राप्त कर पाएंगे आपको सिर्फ एक फोन मिलाना है - " आदिल कुमार की ये नवाज़िश थी या जॉब ???
मैने पुछा नहीं ।
मुझे ज्यादा मित्रता बनाना पसंद नहीं ।
मुझे अकेलापन नहीं एकांत अच्छा लगता है । किसी से बिन बात बतियाना अजीब भी लगता है ।
मैंने हैरानी परेशानी में अपना नँबर बड़बड़ कुमार को दे दिया ।
जिस तरह पहले भी जिक्र किया है ।
फोन से ख़ास दोस्ती नहीं है तो आप अंदाजा लगा सकते है कि मैं एक मिलनसार शख़्सियत नहीं हूँ , मगर मैं नाशुक्रा भी नहीं हूँ ।
बिलकुल इसके उल्ट थे "आदिल कुमार जी | "
"बड़बड़" के नाम से उनका कांटेक्ट नाम फ़ोन में सेव कर लिया । तअज्जुब की बात ये थी कि आदिल कुमार का कोई निश्चित वक़्त नहीं था फ़ोन करने का ।
हर वक़्त बैंक की हर समस्या के सुझाव के लिए तैयार रहते । दिन में 2 बार माँ से बात करता हूँ उसके इलावा सिर्फ बड़बड़ कुमार जी थे जिन्हें मेरी चिंता होती ।
"पंडित जी मैं खाने पे बैठा था तो सोचा आप से भी पूछ लू आप शहर में नए है तो पूछ लू खाना वाना सही मिल रहा है न ??
कभी कभी दिल करता था बैंक में अकाउंट बंद करवा दूँ , डेबिट कार्ड की कोई समस्या हो या फिर किसी और employee की बैंक स्टेटमेंट ।
मेरे नाम से मेरे ही दफ्तर के लोगों को मेरे साथ पक्की दोस्ती बता कर बाकी employees का खाता भी अपने बैंक में खोलते । उसके इलावा कोई क्रेडिट कार्ड ,कोई लोन मेरे नाम से चिपकाते । परफेक्ट सेल्जमैन।
आदिल कुमार जी थे एक अच्छे सेल्समैन ।
मेरा तबादला कुछ ही ..दिनों में हो गया ।
नाम बड़बड़ नाम से वैसे के वैसे ही सेव था ।
मेरी आदत भी वैसे के वैसे ही थी फ़ोन न उठाने की ।
4 साल तक हर दिवाली , होली पे मैसेज आता ।
कभी कभी फ़ोन भी आता और बड़बड़ कुमार बताते के
उनकी भी प्रोमशन हो गयी है 50 खाते और 20 क्रेडिट पे बैंक ने उन्हें नया मोटरसाइकिल दिया है ।
मुझे बड़बड़ में एक न ही दोस्त दिखता
और न ही कोई हमदर्द । वो सिर्फ एक मशीन था ।
जिसे सिर्फ काम करना है उसकी भी भला कोई ज़िन्दगी ।
हर किसी को कस्टमर की नज़र से देखने वाले शख़्स।
मुझे बड़बड़ जैसे लोग बड़े अजीब लगते है ।
हमेशा हैरान होता हूँ - कैसे सिर्फ दिमाग से ही जी लेते है ।
सालो तक बड़बड़ का मैसेज हर दिन त्यौहार पे आता न ही मैं कोई दिलचस्पी दिखाता ... मगर वो साल दर साल शुभकामनाये भेजता और मै दिनों बाद देखता और डिलीट करता ।
रिप्लाई में थोड़ी बहुत दिलचस्पी दिखा लेता ।
अब एक साल से बड़बड़ का कोई संदेश नहीं कोई खबरसार नहीं सोचा शायद वो भी सोचता होगा कि क्या फायदा जब कोई आगे से जवाब न दे ।
इस साल मुझे अपना खाता बंद करवाना था ।
कही से नंम्बर ढूंढा , डायल किया मगर कोई जवाब नहीं मिला ।
ऐसे ही होते है सेल्समैन जहाँ इनकी कोई सेल नहीं वहाँ काहे की सर्विस । सौ गालिया बकी की साला जब काम नहीं था तो दस दस फ़ोन मगर आज जरूरत है तो कोई जवाब ही नहीं ।
वक़्त निकाला और पी. एफ़ क्लियर करने के बाद उसी ब्रांच पंहुचा और खाता बंद करवाने की अर्जी डाली ।
ब्रांच मैनेजर से सीधा शिकायत रख दी
देखिये मैनेजर साहब काम के वक़्त फ़ोन क्यों नहीं उठाते आप लोग ?
मैनेजर साहब ने बताया बाकी के सेल्समैन न ही किसी को फ़ोन करते है और न ही खुद किसी को करने देते है । ये आदिल कुमार के शुरू किये हुए ट्रेंड थे । सारा बैंक अपने कंधो पे उठा रखा था ।
लेकिन जरूरत के वक़्त फ़ोन तो उठाना चाहिए न मैनेजर साहब ।
मैंने पूछा तो अब कहाँ है वो ?
मैनेजर बोला - न्यू ईयर की रात को सड़क हादसे में मर गया । शराब पीने की लत्त थी ।
पसीना पोंछते पोंछते मैं बैंक से बाहर निकला और घर आ कर फ़ोन को general mode पे कर दिया ।
हर एक शुभकामना ज़िन्दगी के मायने बदलती है ।
ये दुनिया प्यार से चलती है ।
मैसेज और फ़ोन कॉल कोई भी हो अब रिप्लाई जरूर करता हूँ ।
पंकज शर्मा