Monday, 16 March 2015

सुना  है लोग  उसे  आह !! भर  के  देखते  है ......
सो  उसके  शहर  में  कुछ  दिन  ठहर  के  देखते  हैं .......
सुना  है  रब्त है  उसको  ख़राब  हालों  से ....
सो  अपने  आप  को  बर्बाद  कर  के  देखते  हैं ...........
सुना  है  दर्द  की  गाहक  है  चश्मे  नाज़  उस  की
सो  हम  भी  उसकी  गली  से  गुज़र  के  देखते  हैं ..........
सुना  है  उस  को  भी  है  शेरो -ए-शायरी  से  शगफ़ .......
सो  हम  भी  मोजज़े  अपने  हुनर  के  देखते  हैं .............
सुना  है  बोले  तो  बातो   से  फूल  झरते  हैं .........
ये  बात  है  तो  चलो  बात  कर  के  देखते  हैं
सुना  है  रात  उसे  चाँद  तकता  रहता  है
सितारे  बाम -ए - फलक  से  उत्तर  के  देखते  हैं
सुना  है  दिन  को  उसे  तितलियाँ  सताती  हैं ......
सुना  है  रात  को  जुगनू  ठहर  के  देखते  हैं ........

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