Thursday, 22 November 2018

दुल्हनें

बच्चे को एक खिलौना पसंद आया और उसे मिल गया ।
बच्चे को लगने लगा कुछ भी चाहो तो मिल जाता है ।
उसने हर एक चीज को खिलौना मानना शुरू कर दिया ।
दुनिया की हर चीज़ खिलौना ।
खेल , भूख , प्यास सब खिलौने ।
फिर उसकी भूख एक औरत बनी ।
माना जाता है कि जब खिलौना खरीद लिया जाता तो वो अपना हरजाईपन खो देता है ।
जब जब वो खिलौने को खूबसूरत देखता उसके साथ सो जाता और अगले एक साल तक उस खिलौने से वंचित हो जाता । फिर वो और खिलौने ले आता उसके कई सौ खिलौने हो जाते । करते करते अब उसे समझ आया कि हर चीज़ खिलौना नही होती । तब तक कितने खिलौने नष्ट कर दिए ।
किसी भी औरत से इश्क़ किया जाए
तिगड़ा एक ही किस्म का बनता है
हुस्न
इश्क़
और मौत
आशिक़ , माशूक और मिलन

जब भूख खत्म होती प्रेम में हार - जीत एक सामान है ।
बच्चा बड़े हो जाते है ।
आदमी आदमी ही रहता है
जब पूर्णता हाथ लगती है
तो वास्तविकता कहीं खो जाती है ।

मेहबूब से मिलन की लिए जरूरी नही
के वो मौजूद हो
खुद आशिक़
खुद माशूक
और खुद में खुद का मिलना
बस उसने भूख और इश्क़ को इतना जाना ।
खिलौने की भूख थी और
प्रेम भूख नही ।
क्योंकि प्रेम वो फूल है ....
जिसे तोड़ा नही जाना चाहिए ।
तुम्हारी हँसी भी फूलों जैसी है
जो भी तुम्हे तोड़ेगा और तुम्हारी खूबसूरती से खेल कर दुनिया में जा बोलेगा ।
मेरा खिलौना अब संपूर्ण हुआ ।
समझ लेना फूल तोड़ दिया गया
ख़ुशबू गायब न ही तितलियां दोस्त रहेंगी
और न ही भँवरे हँसेंगे ।
बच्चा कोई और खिलौना खरिदने बाहर दौड़ेंगे ।

No comments:

ਚਿਖੋਵ

1892 ਵਿੱਚ, ਚੇਖੋਵ ਨੇ ਮਾਸਕੋ ਤੋਂ ਲਗਭਗ 50 ਮੀਲ ਦੂਰ, ਇੱਕ ਵੱਡੇ ਜੰਗਲੀ ਇਲਾਕੇ ਵਿੱਚ ਮੇਲਿਖੋਵੋ ਏਸਟੇਟ ਖਰੀਦਿਆ। ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਉਹ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ, ਉਹ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਦ...