जी मैं हूँ
कौन मैं ?
कोई पहचान बताओ ?
जी मैं !!!
नफ़र्मान ज़हन लड़ाओ और ढूंढ़ो कौन हो तुम
ज़ेहन ये कौन है ?
और मैं किसी के साथ भी लड़ाई झग़डे के सख्त ख़िलाफ़ हूँ ।
अच्छा समझ गया नाओनोश हो ।
कौन है वो निगार ।
जिसकी क़ैद मैं तुम्हारा ज़ेहन है ।
देखिए आप कौन है
जो इतनी छानबीन कर रहे है ।
मैं अपना ख़ुत्बा भूल चुका हूँ ।
तुम्हारा ज़ेहन ही नही तुम्हारा तो
कफ़स भी उसकी क़ैद मैं है ।
कौन हो और क्यों अनाब शनाब बक रहे हो ।
न ही मैं किसी क़ैद में हूँ और
न ही मुझ पर किसी का कब्ज़ा है ।
मैं ख़ुद को तलाश रहा हूँ
किस्सा खत्म होने से पहले मुझे खुद को तलाशना है
नही तलाश पाया तो मुझे कब्र में दफनाया जाएगा ।
मैं पशेमान नही होना चाहता ।
खुद की कोई तस्वीर है तुम्हारे पास
नही है
वो तुम्हें आईने में मिलेगा
जिसे तुम ढूंढ रहे हो
वो गलीज़ तुम्हे वही मिलेगा ।
मगर मिल भी गया तो उसका करोगे क्या ?
उसे ग़ैरत को गुलाम बना के साथ रखूंगा ।
अरे अक्ल की बात करो ।
किस्सा खत्म करना है तो
जाओ तसव्वुर से जा के निगाहें मिलाओ
उसकी निगाहों में भी अगर खुद को न पा सके ।
फिर यूं ही कब्र दर कब्र भटकते रहोगे ।
कभी दफना दिए जाओगे
कभी जला दिए जाओगे
कभी ताबूत में पड़े पड़े सड़ते रहोगे ।
मकोड़े किसी पे तरस नही खाते ।
यूं चलती रहेगी दास्तां
कभी न खत्म होगा किस्सा ।
कौन हूँ मैं
ये सवाल सवाल रहेगा ।
खुद से खुद क्या अनजान रहेगा ।
खुद का कोई दार दिखादो
एक डगर है मेरी
चलो साथ मैं ले चलता हूँ ।
तेरा भी है वो ही रस्ता
तेरे सब खुद मैं के पास ही ले चलता हूँ ।
न मुझको न उस भय नगरी में फिर न जाना
सब चितवन है
धोखा है
तेरे तसव्वुर की चश्म में है जवाब सारे ।
जमाल है वो
जन्न्त की मिसाल है वो
नाम उसका जैसे तेरे खुदा की ज़ाकिर .
जिस दिन वो जानी जफ़ा को तेरी आँखों में पढ़ पायेगा
उस दिन वो नही तू होगा
तू उसमें उसमें मैं होगा
उस दिन खुद को खुद मिल जाएगा ।
तू ख़ुद में मैं को पायेगा
तेरे अंदर अंदर वो तुझमें खुद को पायेगा
तू खुद उसको देख पायेगा ।।।
तसव्वुर से जब मिल जाएगा ।
मैं खुद से मिल के सच्च हो जाएगा ।
सब कुछ सच्च हो जाएगा
तस्व्वुर तुम से मिल के
मैं पंकज सच्च हो जायेगा ।
पंकज शर्मा ।
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