Tuesday, 28 July 2015

एहसास



इस बार बहुत लम्बा वक्फा हो गया है लिखे हुए | 
 कुछ तो लिखूं ...... मगर क्या लिखूं ... लिखते नहीं , बयां करते हैं...
कुछ एहसास..अपनी नज़र से दिल में मुहब्बत उतारने वाले |
कोरे कागज़ और रुक-रुक कर चलने वाली कलम ..... आधी पढ़ी हुई किताब मुझे घूरते हुए :- जैसे तुम्हारी जुबान की बोली बोलने लगी -" तुम लिखते रहो क्यूंकि तुम्हारे लिखने से मुझे अपनी खबर मिलती हैं | तो सोचा इस बार क्यों न वो पहले पहले से एहसास लिखूं |
 ये पहले एहसास ...... इनको देखने के लिए ये दुनियादारी का चश्मा उतारो  और देखना के ये एहसास कितने खूबसूरत होते हैं | -जैसे किसी शहर की वो पुरानी सी गलियां , वो पुरानी सी सड़के , वो पुरानी सी आवारगी ......... और जुलाई महीने की बारिश में वो पेड़ो से बागी हुए गिरते वो पत्ते इस सब पुराने से वक़्त को और भी खूबसूरत सा बनाते हैं | जानते हो क्यों क्यूंकि पुराना ही वो "आईना" हैं .... जिसमें ताका-झांकी करते हम अपने आप को जी लेते हैं |

 जुलाई महीना जाता जाता एक याद दे गया - वो जगह, वो पुरानी सी सड़को पर फिरते हुए पहली पहली बार लगा के शायद यही तो वो था - धुँधला सा 'ख्वाब' .... , बस बाघी सा महसूस किया .... उम्र कच्ची हो तो बगावत का भी दिल करता हैं ... मगर सच्चे एहसास से ज्यादा ख़ुशी और सब में कहाँ | एहसास हो तो सब कुछ यही है ....न हो तो कुछ भी तो नही है....|

 लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं, मै बरसों से खामोश हूं और तुम बरसों से बेखबर.. पर ये भी तो एक एहसास था |... जब एक बार देखा था,मेरी तरफ मुस्कुराते हुए,  बस एक वो शाम थी मानो वो हकीकत थी , उस लम्हे के बाद जितने लम्हे आये बाकी सब किस्से ही तो थे !!

 अजीब से किस्से है जिंदगी के तेरे- मेरे......... किसी में मैं नही... और किसी में तू नही...
 तुम्हारी एक बात और याद आती हैं - ये ऊपरवाला भी हमारे साथ अजीब तरह के खेल खेलता है ...हम सब को मिलवाता हैं , फिर वो एक को दुसरे से प्यार करवाता है , तो फिर दुसरे को तीसरे से , और तीसरे को किसी और से | वैसे लोग मानते नहीं हैं मगर मैं मानता हूँ - प्यार बहुत बार हो जाता है ... लेकिन मोहब्बत सिर्फ एक बार होती है |

 रिश्ते और मुलाकाते सच्ची हो तो वहां अल्फाज़ से ज्यादा एहसास की एहमियत होती है। फिर वही बात फिर कहता हूँ - यु हज़ार बार भी टूटे या रूठे …मना लूँगा तुझे …..मगर देख तेरे और मेरे बीच शामिल कोई दूसरा ना हो .|

 बात जब एहसास की हो तो लफ्ज़ मायने नहीं रखते | किसी की मौजूदगी में भी सवाल जवाब मिल जाते हैं | ज़िन्दगी की बे-अल्फ़ाज़ी खामोशियाँ... और न सोचे समझे , न नपे तुले से "एहसास" ... लिखने को मन करता है | वैसे मैं तो हर बार इसी एहसास का ज़िक्र अपनी बातो में करता हूँ , पर खुशकिस्मत हूँ तुम औरो की तरह अलफ़ाज़ नहीं ..एहसास पढने में माहिर हो |

 जज्बातों और एहसासों के बाज़ार में खरीदने लायक कुछ नहीं मिलता...
पर वक़्त की दहलीज़ का उसूल है...
शायद अगर एक दिन वापस मुड़कर देखोगे -
जगह भी वही होगी पर उस जगह पर 2 नए चेहरे चाय पीते जिंदगी को आंक रहे होंगे |
 ...अब देखो कितना दूर जा पाते है ,
कोशिश यही है की खुद से चल रही इस जद्द-ओ-जेहेद के बाद खुद को पा सके |
 चाहता हूँ मेरे आस पास इन उडते हुए सवालों को मुट्ठी में कैद करना ....
पर नहीं दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें
तुमको न हो ख़याल तो हम क्या जवाब दें......|

 जी तो चाहता है बहुत- " इन एहसासो को अँधेरे में छुपा लूँ, . . मगर ना ''वक्त'' ने इज़ाज़त दी और ना कभी ''तुम'' ने ||
तुम्हारे ही लफ्ज़ थे -किस्मत के आगे किसी की नही चलती, लेकिन " आँखों के सामने कोई भी हो महसूस तो वही होता है , जो रूह में समाया हो |"

पर ये एहसास का खेल भी दिलचस्प है - कभी पल, कभी पल- पल और कभी कभी हर पल......|
 तुम्हारा आ के जाने का एहसास भी वैसे होता है जैसे तुम्हारे लिए "रविवार की शाम हो .....
" अरमान , ख्वाहिशें, ख्वाब ,आरज़ू.,ज़िद्दी दिल, .. कुछ ज़िद्दी, हम भी है..!!!!!
कितना मुशकिल है उस शक्श को मनाना ।। जो रूठा भी ना हो और बात भी ना करे...

 पर जब तक इंसान हारता नहीं है , वो जीता हुआ रहता हैं ....|
तो एहसास तो और भी हैं पर जिक्र जब तेरा हो .....बातें लम्बी हो जाती है |
अब इन एहसासो को अधूरा रख के कहता हूँ -जिक्र तेरा अच्छा लगता है |
 कुछ हम अधूरे...वो लम्हे अधूरे...वो सवाल अधूरे...वो जवाब अधूरे... वो ख्वाब भी अधूरे |
..... तो जाते जाते कहता हूँ -

"जो कह दिया वो बात थी.... जो रुक गए वो एहसास थे |"

QISSEY

~पंकज शर्मा~

Friday, 3 July 2015

बारिश



| बारिश |


रात का वक़्त आसमान से गरजती बिजलियाँ ... खिड़की के बाहर से अंदर आती हवा जैसे इशारा कर रही हो .. कुछ बताना चाह रही हो ये july महीने की पहली ठंडी हवाएं |

जैसे बोल रही हो की जिस बारिश को तुम किसी और शहर में छोड़ आये थे ... मेरा पीछा करती करती मेरे घर तक आ पहुंची हैं  |

तुम्हारे इलावा किसी और को अगर खुले हाथो में लेता हूँ तो  वो हैं ये " बारिशे " |

ये बारिशो का पानी अच्छा लगता हैं |
ये बारिश कि बूंदे,  महका सा पानी; ये  हँसती रात  और हवा में रवानी....
हू ब हू .... बिलकुल तुम्हारे खुले बालो जैसी ..|
बारिश लगता है हमारी अच्छी दोस्त हैं .... जब भी दिल से फ़रियाद करो बरस पड़ती हैं.....
और सच कहू तो जब तुम इन बारिशो में......खुली हवाओ से बाते  करती हो तो  और भी खूबसूरत लगती हो  |
वो आखिरी दिन तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी हस्सी देखने के बाद बादलो की तरफ देखा ...
तो बादलो से बूंदे जो गिरी बारिश की यूं कुछ ख्याल भीग गए मेरे |
लगा  जैसे बादल की क़ैद में बैठी बूंदो को मेरे कहने से आज़ादी मिली हो |

ये सोंधी सोंधी खुशबू...ये बारिश की बूंदे..|

इसमें ख्याल , खुशबू  और याद दोनों थे |

और एक उस दिन शहर की overpolluted हवाओ का मिज़ाज़ कुछ तो बदला बदला सा लग रहा  था |

कभी कभी सोचता हूँ कितना अजीब हूँ ... अनारी हूँ |
सब के दिल की बात समझ लेता हूँ |
बिना सुने पढ़े दूसरो की आँखों के सागर में से अलफ़ाज़ पढ़ लेता हूँ |
फिर  तुम्हे ही क्यों नई समझ सका |
और तुम मुझे |

खैर मुझे अपनी कोई फ़िक़र नहीं .... पर तरस आता है मुझे इन सावन के बादलो पे जो .... प्यार में गिरफ्तार दोस्त की हालत देख कर ठंडी ठंडी आहें भरते बरस पड़ते हैं |

सच कहूँ  तो वो अनजान जगह , एक अनसुना गांव, पास बहती नदी, दूर दूर पहाड़ो के बीच, कुछ अपना सी  ढूंढती तुम्हारी नज़रो में आई वो चमक और ढाई इंच की तुम्हारी smile ..... मेरे लिए दुनिया की सबसे अनमोल और खूबसूरत चीज़ थी |

ये फुर्सतों का दौर हो   या वो लम्हा  हो ...... तेरी यारियां हो या मेरा इश्क़ .. बड़े आराम से चल रहा था .. कुछ तेरे अंदर .....या वो मेरे अंदर | पर समझना नासमझ की सोच से परे था


एक एक लम्हा बारिश के पानी की तरह बिलकुल पास से हो के जा रहा था | और गुम हो रहा था किसी काल में |


इन सपनो से वापस लौटता तो क्या देखता हूँ तुम वापस जा रही हो - काश !! एक  बार पलट कर देखा  होता 
 मेरी आँखो मे !! शायद दो-चार अश्क आ जाते तुम्हारे भी आँखो मे !!
पर अश्क़  तो अश्क़  हैं
अश्क़ मेरी  ज़िंदगानी हैं
इस लिए जब रूह की वो झील सुखी हो ....
और मंन में वो आग चलती है ...
तो झील से अश्क़ में से कुछ अश्क़  खुद पी लेता हूँ |

बहुत वक़्त लगा हैं सम्भलने में ....... पर ये दिल तो दिल हैं जब किसी के लिए धड़क उठता है तो फैसले दिमाग से नहीं दिल से लेना शुरू कर देता है |

इबादत हद से गुज़र जाए तो कई बार चुनौती बन जाती हैं |

अजीब हैं मेरा अकेलापन , पागलपन | - तेरी चाहत भी नहीं और तेरी जरूरत भी हैं |

मैं हमेशा संभलता रहूंगा अगर तेरा हाथ मेरे हाथ में रहे ..
उम्मीद ! अब कुछ तुमसे क्या करूँ... यह क्या कम है, तेरे साथ कट रही है..!!!!

 पर ज़रा संभल के रहना, मौसम बारिश का भी है और मुहब्बत का भी..|

मुझे आज तक किसी से प्यार नहीं हुआ .... सच कहूँ तो  ये नाप तोल के प्यार करना मैंने सीखा नहीं ...
अगर  चाहत को प्यार कहे तो मान सकते है .... " हाँ मैंने भी प्यार किया है |"

और दामन अब तक बेदाग़ रखा है भले ही लोगों के ज़ुबानों पे बदनामी के किस्से हो मेरे |

रिश्ते  कभी जिंदगी के साथ साथ नहीं चलते, रिश्ते एक बार बनते है, फिर जिंदगी रिश्तो के साथ साथ चलती है..!!

और इतनी बातो और यादो के क़िस्से सुनाते ...वाह !! बारिश भी रुक गयी |

आज फिर बारिश कि बूदों के साथ तेरे ख्याल में भींग रहे हैं.. चाय है हाथ में और हम कुछ बातो और किस्सों मे डूब रहे हैं..।।
 बारिश की बूँदें  अभी चेहरे पर ठहरी हुई और  जुल्फें मेरे चेहरे पर अटकी हुई.मैं आँखें बंद करता हूँ और सोने की कोशिश करने लगता हूँ..मुझे पता भी नहीं चलता की कब धीरे धीरे नींद मुझे अपने आगोश में समेट लेती है|
मेरे यूँ चुप रहने से नाराज ना हो जाना कभी., दिल से... चाहने वाले तो अकसर खामोश ही रहते है ...!!

| बारिश |

| पंकज शर्मा |

Thursday, 2 July 2015

FAMILY MEMBER



kDe IMAGINATION, kde QISSEY ,Te kde ROOH ban ke aawe ...
dil di kro ek reejh poori je mapya merya di ban ke NOOH aawe ...

puchya ek swaal ke ki howe je apna viah ho jawe ...
lai jao zra imagination vich din oh kive nazar aawe ...

ek mai vi tere naal ohna fabda , jinni tu mere naal fabbdi...
sunya bebe teri vi aaj kal war mere warga  labhdi ....
  
Viah karwa k,dining table te beh k mere maapeyan nu mummy paapa bulaawe gi..
Dad tusin hor halwa nahi khana, apne hisaab naal plate ch paawe gi...

Howe gi nawi ohh mere PARIVAAR  ch, te dillon sab nu pyar karu,
Jaawa ge jad asin dowen bahar, tan apni selection naal mainu tyaar karu

Mere wangu kahu gi mainu k chalo drive te uphills chaliye 
Candle light dinner karan layi ik kalli tha asin malliye..

Chure aali bhaahan kharkan giyan ghar diyan diwaaran ch,
Har weekend lai jawa ga ohde ghar ohnu, hou pyar ehna pariwaaran ch..

Apne ghar ponch k mom agge mainu "tusin" keh k bulaawe gi 😉
Fer chupke jahe mere wal vekh k ohh muskuraawe gi..

Kitchen cho awaaz maar k kahu, tusin fulke kinne khaane ne??
Naale ph te kardu text mainu, k chup krke 2 keh deo me hor ni banoune ne.. 😉

Shaam hoi te kise baby wangu mere kol aa jaawe gi,
Mere modde te sir rakh k apna hakk jataawe gi..

Main v chukk k bahan ch ohnu gaddi ch leta dawa ga,
Start karke gaddi full moon light ch long root te paa lawa ga

Vekha ge dowen ik duje wal bin bole akkhan kehen giyan,
Lai vekh lai yaara akheer ho gaye ik appa,
Hanjuan naal jaffiyan pain giyan..

Aage jaa k gaddi ik sunaan jagah te ruk jaawe gi,
Vekho hun parhan alli de face te kiwen smile aawe gI

tere saare chaawa nu pugaun wale haqq aa jaan sirf mere hissey
din da pehla te akhiri khyaal hove bas tu te.... mere QISSEY


PANKAJ SHARMA 
| QISSEY |
http://pankajsharmaqissey.blogspot.in/

emailid - sharmapb74@gmail.com

ਚਿਖੋਵ

1892 ਵਿੱਚ, ਚੇਖੋਵ ਨੇ ਮਾਸਕੋ ਤੋਂ ਲਗਭਗ 50 ਮੀਲ ਦੂਰ, ਇੱਕ ਵੱਡੇ ਜੰਗਲੀ ਇਲਾਕੇ ਵਿੱਚ ਮੇਲਿਖੋਵੋ ਏਸਟੇਟ ਖਰੀਦਿਆ। ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਉਹ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ, ਉਹ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਦ...