सूना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं .......
सो उस के शाह’र में कुछ दिन ठहर के देखते हैं....
सूना है रबब्त है उस को खराब हालों से
सो अपने आप को बर्बाद कर के देखते हैं
(रबब्त : closeness)
सूना है दर्द की गाहक है चश्म -ए-नाज़ुक उस की ......
सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं ........
(चश्म -ए -नाज़ुक : delicate eyes; गाहक : customer)
सूना है उस को भी है शेयरो-ए-शायरी से शगफ़.....
सो हम भी मोजज़े अपने हुनर के देखते हैं ......
(शग़फ : interest; मोजज़े : miracles)
सूना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं ....
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं .....
सूना है रात उसे चाँद तकता रहता है .....
सितारे बांम -ए -फलक से उत्तर कर देखते हैं .....
(बांम -ए -फलक : terrace of the horizon)
सूना है हशर हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखें .....
सूना है उस को हिरन दश्त-ए-भर के देखते हैं .....
सूना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं .....
सूना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं
सूना है रात से बढ़ कर हैं काकुलें उस की
सूना है शाम को साये गुज़र के देखते हैं
(काकुल : tresses)
सूना है उस की सियाह चश्मगी क़यामत है
सो उस को सुरमाफ़रोश आह !!! भर के देखते हैं
(सुरमाफ़रोश : kohl vendors)
सूना है उस के लबों से गुलाब जलते हैं
सो हम बहार पर इलज़ाम धार के देखते हैं
सूना है आ’ईना तमसाल है जबीं उसकी
जो सादा दिल हैं बन संवर के देखते हैं
सूना है जब से हमाइल हैं उस की गर्दन में
मिज़ाज और ही लाल -ए -गौहर के देखते हैं
(hamaail : something to wear around the neck)
सूना है चश्म - ए -तसव्वुर से दश्त -ए -इमकान में
पलंग जावे उस की कमर के देखते हैं
(चश्म -ए -तसव्वुर : eyes of imagination)
सूना है उस के बदन के तराश ऐसे हैं
के फूल अपनी क़बाएँ क़तर के देखते हैं
(क़बाएँ : tunic)
वो सर्व -क़द है मगर बे -गुल -ए -मुराद नहीं
के उस शजार पे शगूफे समर के देखते हैं
(सर्व -क़द : tall and graceful; शगूफे : bud; समर : fruit)
बस एक nigaah से लूटता है क़ाफ़िला il का
सो राहरवा -ए -तमन्ना भी दर के देखते हैं
(रहरवां : travellers)
सूना है उस के शबिस्तान से मुत्तसिल है बहिश्त......
मकीं उधर के भी जलवे इधर के देखते हैं ......
(शबिस्तान : bedroom; मुत्तसिल : near; मकीं : tenant)
रुके तो गर्दिशें उस का तवाफ़ करती हैं
चले तो उस को ज़माने ठहर के देखते हैं
(गर्दिश : time)
किसे नसीब के बे -पैरा उसे देखे
कभी कभी दर -ए -दीवार घर के देखते हैं
(बे -पैरए : without clothes)
कहानियां ही सही सब मुबालगे ही सही i
अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं
(मुबालगे : beyond one’s limits)
अब उस के शहर में ठहरें के कूच कर जाएँ
“फ़राज़ ” आओं सितारे सफर के देखते हैं
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