Thursday, 18 April 2019

Book : मुसाफ़िर बशीर बद्र

"मुसाफिर है हम भी
मुसाफिर हो तुम
किसी मोड़ पर
फिर मुलाकात होगी ।"

बशीर बशीर हिंदी के वो शायरों में से है जिनका नाम अव्वल शायरों में लिया जाता है । बशीर साब की शायरी में अलग तरह की ताजगी है । आम आदमी की वेदना संवेदना और अनेक समस्याओं का प्रतिबिंब यथार्थ रूप में झलकता है ।
बशीर साब को हर भाषा का ग़ज़लकार माना जाता है ।
"खुद बशीर साब खुद  को न हिंदी न उर्दू का ग़ज़लकार मानते है बल्कि गज़ल का गजलकार मानते है ।
अपने पिता को पहला शेर सुनाया तो किसी को अंदाजा नही था ये लड़का बहुत बड़ा शा'अर बनने वाला है - हवा चल रही है ,  मैं उड़ा जा रहा हूँ , तेरे इश्क़ में मरा जा रहा हूँ ।
उस वक़्त उम्र थी - ग्यारह वर्ष ।

बशीर जितनी सरलता से लिखते हैं उनको ग़ज़ल का आदमी माना गया ।

उनके कुछ मुसाफिर में से मेरे मनपसंद शे'अर है

1. कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से,
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो!
2.दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे
3.अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे
4.रोटियाँ कच्ची पकीं कपड़े बहुत मैले धुले
इसमें पाकिस्तान की कोई शरारत सी लगी
5.चराग़ों को आँखों में महफूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
6.दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
7.मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

सैयद मोहम्मद बशीर
उर्दू के बहुत से शायर हुए , लेकिन बशीर साब को चोटी का शायर मानता हूँ  ।
तेज़ तरार जिंदगी की , राजनीतिक चीखें , कटाक्ष प्रेमियों के बीच की नोंक झोंक सब का ज़िक्र है इसमें ।

ग़ज़ल साहित्य में बशीर जैसी सादगी औऱ मिठास मुश्किल से मिलती है । आप भी अपनी लायब्रेरी में बशीर साब की " मुसाफिर को सजाएं । चलता हूँ आखिर में बशीर साब का शे'अर !!!
एक तस्वीर और कई खत भी है
साहब आपकी रद्दी में ।

Thursday, 11 April 2019

Durjoy Dutta Of course I love you till i find someone better Book review

नमस्कार !!!
इसको लिखते वक़्त हमारी वाणी शर्मा गलत हो सकती है लेकिन हमारी श्रद्धा शर्मा एक दम जमुना की तरह निर्मल है ......
Author : Durjoy Dutta ( Engineering + MBA ) / Maanvi Ahuja ( IIM )
मेरे Early 20s की ये मोस्ट suggested किताब थी CBSE और ICSE वाले सारे लौंडे लफाड़े ये पढ़ रहे थे | अपनी इंग्लिश ठीक ठाक थी कितना और कहाँ तक पढ़ पाते  !! इस किताब के बारे में पहले किसी ने बात की है हैं या नहीं की है , लेकिन मैं करूँगा भाई .. क्यूंकि मैंने इस पढ़ लिया है |  अब आपने अंदर से उगल रही है चुल्लेट | चीख चीख के बताऊंगा ...... !!!
Of Course I Love You Till I Find Someone Better 
मुद्दा क्या है - वही है.. जो हर बार होता आया है दत्ता जी हर  कहानी के हीरो का नाम ?????? देब है और लड़की का नाम never guess  अवंतिका शर्मा ही हैं | ( इस में क्या lucky charm हैं anyways ??) 
देब दिल्ली का लौंडा इंजीनियरिंग  छात्र कहानी  शुरू होते ही स्मृति को पेल रहा है | देखने में average बंगाली लड़के जैसा | लेकिन स्टड लौंडा  एक के बाद एक लड़कियां आ रही है जा रही है | दिल्ली की कहानी है भाई यहाँ चलता है | ऐसे अंदर से अपने कपडे मत फाड़ना | समृति नाम की लड़की कहानी की हीरोइन कैसे हो सकती है इस लिए देब पढ़ने की कोशिश करने ही वाला होता है कि समृति भाभी को करना है फ़ोन सेक्स |
देब बाबू बोलता हैं - Baby other time !!!
समृति बोलती है - no !!
देब बोलता है - प्लीज़ 
समृति बोलती है - ऐ लावड़िया , पढाई ही करनी थी तो फ्रेंडशिप काये को किया ... जा भोचली के अब जा के तू पढ़ाई ही कर .. गलती से भी अपना थोपड़ा ले के आ गया न तो दिन में राफ्टें कि बरसात करेगी मै |
देब - समृति कि वाणी सुन के अपना हाथ जगन्नाथ कर के सो जाता है |
क्या घंटे का स्टड लौंडा .. पढ़ना नहीं तो वैसे ही सो जाता लड़की को क्यों नाराज़ किया... पर नहीं एक जायेगी, तो ही तो दूसरी आएँगी न | समृति देब कि कॉलेज की पहली गर्लफ्रेंड हैं | इससे पहले वर्णिता के साथ भी देब बाबू गुपचुप हो चूका है लेकिन अब ये हिस्ट्री है अब ये देब की गुड फ्रेंड्स है | दत्ता जी ने बस इतना ही बताया | बाकी अपना guess है |
कहानी कुछ दोस्तों के बारे में बताने की कोशिश करती है पर उनके Sub-पात्रो  को establish होने ही नहीं देती | वीरू ,योगी , श्रेय , तन्मय , वर्णिता , अमित , आस्था , नीति .. बैकग्राउंड में अवंतिका के दो चालू बन्दे विल्लंस है | दूसरे पन्ने पर देब बाबू को ठरक आ रही है | 
आम तौर पर कहानी फिक्शन इस लिए कहलाती है कि जो असली ज़िन्दगी का देब जो जो करने से चूक गया है - वो वो लिख कर उसे चिढ़ाया जाए | क्यूंकि कॉलेज में डिग्री के साथ अनलिमिटेड सेक्स नहीं किया तो कॉलेज लाइफ थोड़ी नहीं बहुत ज्यादा बोरिंग लगती है | 
इस कहानी में सारी लड़किया खूब दारु गांजा फूक रही है 
**** WARNING *** सिर्फ गांजा( weed ) फूकने से कैंसर नहीं होता|
देब  बाबू के सारे दोस्त  पढने लिखने वाले है मगर सबकी कैंपस प्लेस्मेंट हो रही है मगर अपने देब को ठरक से ही फुर्सत नहीं है - अल्फा बीटा जावा C++ तो फिर भी सीख लेंगे | btech का क्या है |
समृति कि exit के बाद अवंतिका आती है | बस अवंतिका दीदी दिल्ली कि अमीर लड़की ( बड़े लोग बड़े लोग ) देब बाबू है गरीब है बस उनके पास कार है बस कुछ इस लिए भी लड़कियां जल्दी सेट हो जाती है बाबा बंगाली के साथ ... म@#$$%^&* ............... कुछ नहीं गुस्सा आ गया था इस लिए गलत टाइप हो गया |
अवंतिका एंट्री के साथ ही बता देती है कि वो दो बन्दों का काट रही है |
देब बाबू खुश  होते है के चलो नया शिकार मिला | अवंतिका भी पूरा लाइन देती है | अब भाई 100 पन्नो तक रोमांस चलता है | अवंतिका के पुराने बॉयफ्रैंड्स लड़ झगड़ कर दारु गांजे चरस में देवदास बन रहे है | मज़े में है देब बाबू | कर करवा कर सब दोस्तों को पास होने के बाद मिलती है डिग्रीया और नौकरी | 
अवंतिका धार्मिक लड़की है एक दिन उसके दिमाग में ख्याल आता है ये साला फ़ोकट आदमी और नौकरी ले कर निकल पड़ती है बैंगलोर कहीं नौकरी करने | ( एन्ड में वापस आयेगी बड़ा महाफुद्दु सा लॉजिक लेकर ) 
देब बाबू यहाँ हिलाते नहीं थकते | और पिता जी कहने पर BHEL में काम शुरू करते है |
कहानी यहाँ खत्म थी लेकिन हैप्पी एंडिंग का presure , suspense  भी रखना है , और एंडिंग में नए खून को रोना भी आना चाहिए | 
तो bhel में नौकरी करते हुए देब बाबू का एक ही मकसद रहता है वहां बने एक बिहारी लड़के को stud  बनने की घटिया कोचिंग करवाते है | 100 पन्ने अमित और आस्था की सेटिंग में गए | 
(असली टारगेट तो नीति थी आस्था जी की roomamte बस अमित की सेटिंग हो जाए और इनकी अवंतिका के बाद वाली ठरक भी मिट जाए )
The End - में अवंतिका आ के बड़ा फुद्दू सा एक्सक्यूज़ देती है की वो उसकी ज़िन्दगी से इस लिए गयी कि उसके गुरु संत राम जी ने बोला था लड़के के लिए बड़ी  मनहूस है | ये सुन के अवंतिका रोने लगती है और बताती है कि विमल गुटखा खा खा कर उसको कैंसर हो गया है | 
बस देब और अवंतिका गले लग जाते है बाकी दोस्त भी एन्ड में इकठे हो जाते है 
अवंतिका को कैंसर हो चूका है लेकिन नौकरी ढूंढ रही है , देब अपनी ठरक की कहानियों को छपवाने की खोज में है |
250 पन्नो की किताब आपका काफी समय बर्बाद कर सकती है |
इस लिए ये वादा करते हुए विदा लेता हूँ के हर हफ्ते एक किताब के बारे में जानकारी शेयर  करेंगे | उसके pros cons और उसकी USP का ज़िक्र करेंगे | आप तब तक ये रिव्यु दोस्तों के साथ शेयर करे | हर गुरुवार को हर एक किताब का आंकलन करेंगे | 
आपको अगर लगता है की कोई ऐसी किताब जो आपने अभी पढ़नी है तो प्लीज नाम भेजे हम उसका हाल बतावेंगे |
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ਚਿਖੋਵ

1892 ਵਿੱਚ, ਚੇਖੋਵ ਨੇ ਮਾਸਕੋ ਤੋਂ ਲਗਭਗ 50 ਮੀਲ ਦੂਰ, ਇੱਕ ਵੱਡੇ ਜੰਗਲੀ ਇਲਾਕੇ ਵਿੱਚ ਮੇਲਿਖੋਵੋ ਏਸਟੇਟ ਖਰੀਦਿਆ। ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਉਹ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ, ਉਹ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਦ...