पाश 9 september 1950 से अब तक ..............
तुम्हे पाश समझ में आएगा ।
उसका हर लफ्ज़
हर बात
नहीं गूंजती कानो में अब तक ,
जिस कत्ल को हादसा समझते हो अब तक ....
जब तुम्हारे हाथो से खिलौने छीन के खेतों में भेज दिया जायेगा ।
स्कूल की छूटी के बाद दुकानों में डाल दिया जाएगा ।
कॉलेज की डिग्रीे दे कर दफ्तर दर दफ्तर भटकाया जाएगा ।
लाऊड स्पीकर से आती आवाज़ों से जब तुम्हारा दम घुट जाएगा ।
काम से लौटते हुए जब सपनो को जब सूरज के साथ डूबते देखा जायेगा ।
धीरे धीरे डूबता हुआ सूरज
जैसे जैसे, आसमान काला पड़ता जाएगा ।
मेरे दोस्त तुम्हे पाश समझ आ जायेगा
हर वो किताब जिसके पहले पन्ने पे पाश लिखा है उसे तुम जरूर पड़ना ।
उसमें कविता नहीं वो इतिहास है जो सदियों से चलता आया है ।
इतिहास को यही रोकना तुम्हारी जिम्मेदारी है ।
पाश - "ज़िन्दगी से प्यार करने वाला शायर "
जो किसी के इंतज़ार में डूब के मरना नहीं उसके साथ जीना चाहता था ।
🏧 प्यार करना और जीना उन्हे कभी नहीं आएगा
जिन्हें जिन्दगी ने बनिए बना दिया है ।
जो मर के भी हमारे अंदर जिन्दा रह जाए उसे ही तो पाश कहते है -
🔜*मैं आदमी हूं, बहुत कुछ छोटा-छोटा जोड़कर बना हूं
और उन सभी चीज़ों के लिए
जिन्होंने मुझे बिखर जाने से बचाए रखा
मेरे पास शुक्राना है*
🔜पाश कहते है - " *मैं शुक्रिया करना चाहता हूं
प्यार करना बहुत ही सहज है
जैसे कि जुल्म को झेलते हुए खुद को लड़ाई के लिए तैयार करना*
🔝*युग को पलटने में लगे लोग
बुखार से नहीं मरते*
🔄*तुम्हारे बगैर अवतार सिंह संधू महज पाश
और पाश के सिवाय कुछ नहीं होता*
🔚*मुझे जीने की बहुत-बहुत चाह थी / कि मैं गले-गले तक जिंदगी में डूब जाना चाहता था / मेरे हिस्से की जिंदगी भी जी लेना मेरे दोस्त*
दिल के करीब किसी किरदार को पाता हूँ वो पाश है जिसकी कविताओं में सब कुछ है -
🔃*वह तीन ही रंगों से वाकिफ़ रहा एक रंग ज़मीन का था जिसका कभी भी उसे नाम न आया एक रंग आसमान का था जिसके बहुत से नाम थे पर कोई भी नाम उसकी ज़ुबान पर चढ़ता नहीं था एक रंग उसकी पत्नी के गालों का था जिसका कभी भी उसने शर्माते नाम नहीं लिया*
जहां कलावादी कवि मैं-मैं की रट लगाए हुए थे उसने ‘हम’ की बात की। उसने पलायन की नहीं समस्या से जूझते हुए हमेशा ही अपने हकों के लिये लड़ने की बात की
जिसने इंकलाब जिंदाबाद के मायने लफ़्ज़ों में समझाए ।
इंकलाब कविता भी होता है ।
Remembering अवतार सिंह संधू #पाश on his 67th anniversary.
पाश चलो कविताओं में मिलते है ।
पंकज शर्मा